गीत नवगीत कविता डायरी

14 January, 2013

गीत ..बेटियाँ


गंगा की जलधार सीं ,
अर्घ्य की पावनधार सीं ,
जीवन के आधार सीं .
भोर सजीली भक्ति रूप 
होतीं हैं बेटियाँ ..!!

सुभग अल्पना द्वार कीं,
सजतीं वंदनवार सीं/
महकें हरसिंगार सीं ,
जीवन भर की छाँह -धूप 
होतीं हैं बेटियाँ ..!!

बाबा के सत्कार सीं ,
मर्यादा परिवार कीं ,
बेमन हैं स्वीकार सीं ,
धीर धरे चुप गहन कूप 
होतीं हैं बेटियाँ ...!!!

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    मकरसंक्रान्ति की शुभकामनाएँ।

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  2. बेटियों को समर्पित सुंदर गीत-----बधाई

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