गीत नवगीत कविता डायरी

12 January, 2013

गीत ..

आज फिर बरसे हैं बादल जोर से ,
मन बहकने सा लगा है ..!!

 धुल गए पत्ते सभी/
 लग रहे सब ही नए ,
छू गई हौले से फिर,खुशबू कोई, 
मन महकने सा लगा है ...!! 

 इक घटा है घोर काली 
लड़ रही है पास वाली ,
प्रीत की,लगतीं पुजारन बिजलियाँ, 
मन दहकने सा लगा है ..!!

 सांवली सी हो गई हूँ 
और चंचल हो गई हूँ , 
गा रही हूँ, गीत तेरी याद मैं ,
मन तड़पने सा लगा है ..!!
आज फिर बरसे हैं बादल जोर से..!!!

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